ज्ञानिनामग्रगण्य श्री हनुमान जी
अध्यात्म-रामायण में श्रीजानकी जी ने श्रीराम जी की प्रेरणा से श्रीहनुमानजी को अध्यात्मतत्त्व का उपदेश दिया है | गोस्वामीजी का इन्हें “ज्ञानिनामग्रगण्य” कहना कितना सारगर्भित है ? भगवान् श्रीराम के पूछनेपर –“ तू कौन है ?”, हनुमान जी उत्तर देते हैं –
“देहदृष्ट्या तु दासोऽहं जीवदृष्ट्या त्वदंशक: |
वस्तुतस्तु त्वमेवाहमिति मे निश्चिता मति: ||”
I don't have any verse index to Adhyātma-Rāmāyaṇa, or a searchable text. Hopefully, you can find this verse there. Best,
_______________________________________________Dear list members,Does anyone know the source of this verse:dehadṛṣṭyā tu dāso'haṁ jīvadṛṣṭyā tvadaṁśakaḥ |
ātmadṛṣṭyā tvamevāham iti me niścitā matiḥ ||
Thanks,
Harry Spier
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